Aparna Sharma

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लेखनी कहानी -#१५ पार्ट सीरीज चैलेंज पार्ट -३

#15 पार्ट सीरीज चैलेंज 


*महादेव शिव शंकर की कथाएं और उनमें निहित ज्ञान और प्रामाणिकता*
पार्ट -3
*ब्रह्मा विष्णु की लड़ाई में शिव का न्याय*

ब्रह्मा, विष्णु, महेश सभी परमात्मा शिव के दिए हुए कार्यों को भलीभांति कर रहे थे! एक दिन महादेव ने बातों ही बातों में विष्णु को ब्रह्मा की उत्पत्ति विष्णु के नाभि कमल से हुई है ये बताया !
विष्णु घमंड से फूल गये और ब्रह्मा के पास जाकर उन्हें कहने लगे कि मैं तुमसे श्रेष्ठ हूँ क्योंकि तुम मेरी नाभी से उत्पन्न हुए हो !
ब्रह्मा सुनकर चिढ़ गये और बोले -नहीं मैं तुमसे श्रेष्ठ हूँ!मैने सारी सृष्टि को रचा है। 
बात बात में दोनों में बहस होते होते लड़ाई छिड़ गई! 
बात बहुत बढ़ गई अब दोनों का अहंकार श्रेष्ठ से सर्वश्रेष्ठ पर आ गया, दोनों बोलने लगे मैं सर्व श्रेष्ठ हूँ! 
मुझसे बड़ा और कोई नहीं! 

तभी अचानक उन दोनों के मध्य एक लिंग प्रकट हुआ!  
विशालकाय लिंग !

दोनों हैरानी से अभी देख ही रहे थे कि उस लिंग से महादेव प्रकट हुए और बोले -" आपस में क्यों लड़ रहे हो? 
तब ब्रह्मा बोले -" इस संपूर्ण सृष्टि को मैंने बनाया है इसलिए मैं सबसे श्रेष्ठ हूं ! 
" और इस सृष्टि बनाने वाले की उत्पत्ति मेरी नाभी से हुई है मतलब मैं बड़ा हुआ  !
मैं न्याय करता हूँ!" महादेव बोले ! 
"जाओ जो भी इस लिंग का छोर ढूंढ लेगा वही श्रेष्ठ कहलाएगा !"
दोनों ने महादेव को प्रणाम किया और ब्रह्मा ऊपर आकाश की ओर और विष्णु नीचे पाताल लोक की ओर छोर ढूंढने निकल पड़े !

दोनों चलते जा रहे थे बस लगातार चल रहे थे परन्तु छोर ढूंढ नहीं पा रहे थे! 
ब्रह्मा को चिंता हुई कि कहीं मुझसे पहले विष्णु छोर ना पा ले !
उधर विष्णु को लगा अवश्य ब्रह्मा ने छोर ढूंढ लिया हो गा मैं छोर नहीं पा सका 
  और वे निराश होकर वापस लौट आए ! 

उधर ब्रह्मा को रास्ते में केतकी का फूल दिखाई दिया उन्होंने उसे लालच दिया कि मैं सबसे श्रेष्ठ कहलाऊंगा तब तुम्हें सबसे श्रेष्ठ फूल बना दूंगा तुम मेरे लिए झूठ बोलना !केतकी का फूल लालच में आ गया! 
वह ब्रह्मा के साथ चल पड़ा ! दोनों चलते चलते महादेव के पास पहुंच गये! 
विष्णु वहां पहले से खड़े थे!
उनके मुख पर हार की निराशा थी !
देखकर ब्रह्मा की बांछें खिल गई! वे खुशी से महादेव से बोले -" महादेव मैने लिंग का छोर पा लिया! ये केतकी का फूल गवाह है! ये शिव लिंग के अंतिम छोर पर था ,यानि शिव लिंग पर चढ़ा हुआ था! 
सुन कर विष्णु का चेहरा उतर गया ! 
विष्णु ने ब्रह्मा को बधाई दी और महादेव से हाथ जोड़कर कहा कि मैं लिंग का अंत नहीं पा सका मैं अपनी हार स्वीकार करता हूँ!  
तब महादेव ने विष्णु को प्रेम से गले लगाते हुए कहा -" तुमने सत्य कहा है इसलिए तुम्हारा एक नाम सत्य नारायण होगा ,तुम्हारी पूजा करने पर प्राणियों को सुख वैभव प्राप्त होगा! सत्य की सदा जीत होगी !

निराकार शिव परमात्मा सबसे बड़े हैं उन्होंने ही सारा ब्रह्मांड रचा है , मैं उनका साकार रूप हूँ! आज से तुम मेरे समकक्ष माने जाओगे !
फिर वे ब्रह्मा की ओर मुड़े ! उनका मुख क्रोध से लाल हो गया था! वे बोले -" जब मैं अनादि अनंत हूं मेरा कोई ओर छोर ही नहीं है तो तुमने कैसे ढूंढ लिया? 
अपने आप को बड़ा दिखाने के लिए तुमने झूठ बोला? 
तुम आज से पतित हो गये ,आज के बाद कोई तुम्हारी पूजा नहीं करेगा , घर में या मंदिर में तुम्हारी फोटो नहीं लगाई जाएगी ! तब से हर घर में विष्णु और शिव की पूजा होती है पर ब्रह्मा की पूजा नहीं की जाती ! 
ब्रह्म वैवर्त्य पुराण में लिखा है कि महादेव ने ब्रह्मा के झूठ का तो उन्हें यह दंड दिया ही साथ ही झूठ का साथ देने पर केतकी के फूल को भी यह श्राप दिया कि आज के बाद तुम मेरी पूजा में कभी मेरे ऊपर नहीं चढ़ोगी , यदि किसी ने चढ़ाया तो उसे पाप लगेगा! 

शिव ज्ञान : - अपने आप को श्रेष्ठ या ऊंचा दिखाने का, अहंकार का और झूठ का साथ देने का नतीजा गलत ही होता है। उसका फल भोगना ही पड़ता है। 
असत्य और झूठ कभी पूजनीय नहीं होता 
सत्य कितना भी अकेला हो जाए  ईश्वर हमेशा सत्य के साथ रहता है!  

प्रामाणिकता :- विष्णु पुराण ,वायु पुराण, रूद्राअष्टाध्यायी , ब्रह्म वैवर्त्य पुराण में इस घटना का उल्लेख है। 
शिव पुराण के विध्वेश्वर संहिता के अध्याय -९ ,पृष्ठ -१० के १४ से १८ पर इस घटना का वर्णन मिलता है! 
 
आज भी हर घर में शिव और विष्णु की पूजा होती है पर ब्रह्मा की पूजा नहीं होती है। आज भी शिव लिंग पर कभी भी केतकी का फूल नहीं चढ़ाया जाता है। 
पुराणों में लिखा है कि सतयुग की इस घटना के बाद वह विशाल शिव लिंग तीन भागों में बंट गया! एक भाग पाताल लोक में चला गया एक भाग आकाश में चला गया और एक भाग पृथ्वी पर रह गया!  
तभी से वो तीनों भाग निरंतर पास आ रहे हैं! 
कहा जा रहा है कि जब ये आपस में जुड़ जाएंगे तो कलयुग का अंत हो पुन: सतयुग प्रारंभ हो जाएगा ! 

अपर्णा गौरी शर्मा

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2 Comments

Achha likha hai aapne

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Mahendra Bhatt

29-Jun-2023 09:07 PM

👌👌

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